Sunday, October 27, 2013

वेनिस , प्रेम , तुम और मैं .........!




मेरी जानां ,

सोचा तो यही था कि कभी वेनिस जायेंगे . और वहां की पैलेस नदी की ठंडी लहरों पर किसी गोंडोला में बैठकर , जिसका नाविक कोई प्यारी सी रोमांटिक धुन गुनगुना रहा हो; एक दुसरे के आलिंगन में वेनिस को देखेंगे . 

और जब सांझ का सूरज अपनी सिंदूरी लालिमा के साथ इस नदी में डूबे, तब; जीवन की उस बेला में हमारी नाव शाय ब्रिज के नीचे से गुजरे !

नाव ठहरे . जीवन ठहरे . हम ठहरे और एक पुरानी सी रोमांटिक प्रथा के अनुसार एक दुसरे को चूमे .ताकि हमारा प्रेम अमर हो जाए . हमेशा के लिए !

पता है उस ब्रिज के एक ओर एक पैलेस है और दूसरी ओर एक जेल . ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है जानां ....हमारे प्रेम की सड़क के एक ओर कठोर समाज है और दूसरी ओर हमारी अपनी ज़िन्दगी !

समय थमा हुआ है !

सब कुछ वैसा ही है . कुछ भी नहीं बदला . 
वेनिस अब भी रोमांटिक है .
पैलेस नदी की लहरे अब भी बहती है . ठंडी !
गोंडोला अब भी जोड़ो को लेकर उस नदी की लहरों पर बहते है .
नाविक अब भी रोमांटिक गीत गुनगुनाते है.
शाय ब्रिज अब भी कई प्रेमियों के प्रेम का, आलिंगन का और प्रणय चुम्बनों का गवाह है.
सूरज अब भी अपनी लालिमा के साथ उस नदी में अपने अमरत्व के साथ भीगते हुए डूबता है.

और मैं भी हूँ एक अंतहीन इन्तजार में युग के समाप्त होने की राह देखते हुए. 

समय थमा हुआ है !


और कोई यदि नहीं है 
तो वो तुम हो !
तुम !