आज एक नज़्म लिखी तुम्हारे लिये ...इतनी सारी यादो के साथ जीना !!!!
"और फिर तुम्हारी याद !"
एक छोटा सा धुप का टुकड़ा
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
तुम्हारे जिस्म की सोंघी गंध
और फिर तुम्हारी याद !
उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
और फिर तुम्हारी याद !
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
तुम्हारे जिस्म की सोंघी गंध
और फिर तुम्हारी याद !
उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
और फिर तुम्हारी याद !
टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
रूठा हुआ कोई देवता
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
रूठा हुआ कोई देवता
और फिर तुम्हारी याद !
और आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा भी
फिर एक नाम इश्क का
और फिर तुम्हारी याद !