Friday, January 14, 2011

क्या यही प्यार है .. हाँ यही प्यार है ...!!!


आज के दिन तुमने मुझे ये लिखा था की "
मैं खुद को आईने में देखती हूँ और पीछे तुम नजर आते हो मुझे बाँहों में घेरते हुए ,कंधे पर चूमते हुए .ये  कैसा प्यार है ?"
हाँ जानां यही प्यार है . इसी को प्यार कहते है .. इसी को सच में सपना कहते है , यही एक बेपनाह मोहब्बत है  जो हम दोनों के बीच में है .. लेकिन ये दूरी , ये दुनिया के बंधन , ये दीवारे , ये सब भी  है हम दोनों के बीच  में .. मैंने तुम्हे और तुमने मुझे न जानते हुए भी प्यार किया और ज़िन्दगी के स्वर्णिम पलो को जिया .. ...हाँ यही तो प्यार है ....!!!







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