Tuesday, January 4, 2011

तुम संग नैना लागे रे....

जानां , प्रेम का कैनवास कितना बड़ा हो सकता है , ये मैंने  तुमसे मिल कर जाना . हमारा प्रेम अद्बुत है ..अनोखा है ,अनूठा है ..और इतना विहंगम है की उसे एक ज़िन्दगी के कैनवास में नहीं समाया जा सकता है .. हमारे प्रेम को बहुत ज्यादा space चाहिए अपने आपको express करने के लिए ....और छोटी छोटी बाते इस प्रेम को बहुत अनोखा बनाती है .. याद है तुम्हे हमारे बाथरूम की खिड़की में चिड़ियायें बोलती थी .. उनकी चहचाहट में जैसे हमारे प्रेम के शब्द समा जाते थे.. हम मौन ही रहकर एक दूजे से कितनी बाते कर लेते है .. और अब भी हम कितनी बाते कर लेते है बिना एक दूजे को कुछ बोले ...है न ..!!!


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