Monday, January 24, 2011

वो तीन दिन - फिर वही रात है ख्वाब की.


याद है तुम्हे जानां ,तुमने मुझे उन तीन  दिनों के बारे में क्या कहा था , जो हमने साथ गुजारे थे , एक पुराने से मंदिर और बहती नदी के तट पर....यक़ीनन वो हमारी ज़िन्दगी के सबसे कीमती दिन रात थे.....

तुमने कहा था ......

वो  तीन दिन .......तीन मिनिट से भी कम थे ......कुछ याद नहीं ....तुमने क्या कहा ..मैंने क्या सुना ....मैंने क्या कहा ...तुमने क्या सुना ... कुछ भी नहीं .....बस प्यार याद रहता है ....वो उगते सूरज को साथ साथ देखना याद रहता है .......वो रात को बैठकर मंदिरों को देखना ........आरती की आवाज सुनना याद रहता है ,वो डूबते हुए सूरज की लाली  का  तुम्हारी आँखों में और वहां से मेरे गालों पर बिखरना याद रहता है .





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