Wednesday, November 10, 2010

रिश्ता


यूँ ही जमीं पर थक कर चलते चलते ;
एक खवाबो सा रिश्ता बनाया था मैंने और तुमने ..
पर पता नहीं किसका श्राप था ;
वह कभी भी पूरी तरह से जुड़ नहीं पाया ,
खुदा ने ही इंसानी दरारे बना रखी थी
लेकिन  टुटा भी नहीं कभी ..
एक प्यारे से अहसास के साथ रहा ,
वो जिंदा ही ..
कभी वो मेरी बांहों में  सिमटते रहा ;
कभी तेरी साँसों में महकता रहा
कई बार तुमने तोडना चाहा
लेकिन ,
ये खुदा की वो नेमत है ,
जो धड़कन बन कर जीता है
तुम्हारे और मेरे दिलो में
तुम लाख कोशिश कर लो ..
ये रिश्ता मर न पायेंगा
क्योंकि ;
इस पर तेरा और मेरा नाम लिखा हुआ है
ये तेरा और मेरा रिश्ता है !!!!

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