ख्वाबो के दामन से ...
Monday, October 18, 2010
ये कैसा सन्नाटा सोता है मेरे साथ ..
कल तक तो यहाँ तुम थी..
तेरी खुशबु थी
तेरा चेहरा था
तेरे होंठ थे...
तेरा एहसास था
,
या फ़िर एहसास ही होंगा
या खुदा जाने सपना था
शायद सपना ही था.........
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