Saturday, October 16, 2010

तुम कहाँ हो जांना !!!


भीगा सा दिन है.
भीगी सी आँखें है.
भीगा सा मन है.
भीगी सी रात है, 

तुम आ जाओ सनम .. 
मैं तुम में भीगना चाहता हूँ 

चल ,आ प्रिये ,
कहीं दूर उड़ चले .. 
संसार को छोड़ चले ...

मन के शहर में 
मन की गलियों में भटक जाएँ ..

तुम मेरा हाथ थामे रहना प्रिये !

तुम कहाँ हो जांना !!!

No comments:

Post a Comment