Saturday, October 16, 2010

तुम और मैं




यूँ ही किसी ज़िन्दगी में तुम शायद मुझसे अलग हो गयी थी ..
किसी खुदा ने ;
तुझे मुझसे छीन लिया था या मुझे तुझसे छीन लिया था !!

ज़रा सोचो तो क्या हम किसी नीली नदी में डूब गए थे ?
या फिर किसी जलप्रपात में भीग गए थे ?
किसी लम्बी सड़क पर चलते चलते किसी धुंध में खो गए थे ?
कभी किसी खुले आसमान के नीचे लेटकर चाँद तारों को देखा होंगा ?
यूँ ही कभी तुमने मुझे अपने हाथों से खिलाया होंगा ?
 या फिर मुझे शर्माते हुए पानी में नहलाया होंगा ..!

ज़रा सोचो तो क्या किसी जनम में तुमने मुझे यूँ ही गले लगाया था ..
या फिर अपने शीतल चुम्बनों से मुझमे आग लगा दी थी ...!!

क्या कुछ पिछले जनम का अधुरा प्यार था ;
जो इस जनम आकर मिले हम .....
वैसे ,पिछले जनम में तुम्हारा नाम जांना था क्या ?

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