Saturday, October 16, 2010

टुकडा -टुकडा ज़िन्दगी


चलो ,
इस टुकडा -टुकडा ज़िन्दगी को जोड़ कर ,
एक चादर सी लें ।
एक चादर ,
जो कभी तेरा लिबास बन जाए ।
कभी मेरा लिबास बन जाए ।
और जब वक्त की धूप
हमारे सर पर आए ,
तो ये चादर हम दोनों का सरमाया बन जाए ।

चलो ,इस टुकडा -टुकडा ज़िन्दगी को जोड़ कर ,
एक चादर सी लें ।
एक चादर ,जिसे ओढ़ कर हम
अपनी सपनों की दुनिया में खो जायें ।
जहाँ .......
एक शांत बहती नदी हो ।
जहाँ ...........
पुराने मन्दिर हों ।
जहाँ चाँद -तारों भरा आकाश हो ।
और जब मैं नींद से जागूँ ,
तो तू मेरे पास हो ।

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