Saturday, October 16, 2010

सपना


ये कैसा सन्नाटा सोता है मेरे साथ ..
कल तक तो यहाँ तुम थी..
तेरी खुशबु थी
तेरा चेहरा था
तेरे होंठ थे...
तेरा एहसास था ,
या फ़िर एहसास ही होंगा
या खुदा जाने सपना था
शायद सपना ही था.........

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