प्रिय , तुम उस स्पर्श को क्या कहोंगी
मेरा प्यार या फिर तुम्हारा इकरार
वो थी हमारे प्रेम की संपूर्णता या एक कविता
जो तुम जैसी ही खूबसूरत थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
यूँ लगा जैसे फागुन अपने आप में नहीं रहा
यूँ लगा की जैसे रजनीगंधा की खुशबु फैली
यूँ लगा जैसे मेघो से आकाश ढका रहा
तन और मन के मिलन की वो मधुर बेला थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
प्रेम की परिभाषा को मैं न कहूँगा
हृदय की भाषा को व्यक्त न करूँगा
शब्दों में अपनी अनुभूति को न बांधूंगा
उन स्वर्गिक पलों की मैंने कल्पना न की थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
तुम भी उस स्पर्श को हमेशा याद रखना
तुम भी मेरी तरह यूँ प्रेम गीत गाना
मेरी याद आने पर अपनी धड़कन को थामना
क्योंकि उस खूबसूरत पल की तुम सहभागी थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
तुम भी उस स्पर्श को हमेशा याद रखना
ReplyDeleteतुम भी मेरी तरह यूँ प्रेम गीत गाना
यकीनन सुन्दर आह्वान है. बेहतरीन भाव
nice
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