जांना ; कुछ भूली बिसरी यादें हमें बुला रही है
ज़िन्दगी के करीब ले जा रही है
जिन अजनबी राहों पर हम चले थे...
वो राहें अब हमारी पैरो के निशान ढूंढ रही है ..
जिन जिंदादिल कमरों में हमने राते गुजारी ,
उन कमरों की छते हमें पुकार रही है ....
और बहुत सी यादें है ,जानी -पहचानी हुई
तुझे और मुझे कुछ कह रही है ....
क्या तुम सुन रही हो ; जांना....
तुम्हे याद है जांना वो सड़क के किनारे खडा पुराना पेड़ ,
जिसमे बहुत से लाल रंग के फूल खिले थे....
तुम कितनी खुश हुई थी उन्हें देखकर ....
और मैं तुम्हे देखता रहा था ...
तुम्हे याद है जांना वो उन्मुक्त पानी का झरना ...
जिसकी बूंदे तुम्हे प्यार से भिगोई जाती थी
और मैं तुम्हे देख देख भीग जाता था ...
जल जाता था .....
तुम्हे याद है जांना वो उजली हुई चांदनी राते ,
जिसके सायो में हमने जिस्म जलाया करते थे ..
मैं अब तक उस आग में जल रहा हूँ ; जांना .....
जांना , ज़िन्दगी मुझे पुकार रही है
और कह रही है की ,
आ जाओ मेरी बाहों में ,
इन बाहों में तेरी जांना की खुशबू है
और कह रही है कि ,
कुछ रास्ते अब भी
मेरा और तेरा इन्तजार कर रहे है ..
और ये भी गुनगुना रही है की ,
कुछ राते तेरे नाम से मेरे इश्क का अलाव जला रही है ...
सुनो जांना , क्या तुमने भी पुकार सुनी है ज़िन्दगी की ..
अगर सुनी हो तो , चलो , कहीं बह चले ...
थोडी साँसे तू मेरे नाम कर दे ..
थोड़े आंसू मैं तेरे नाम कर दूं .....
कहीं ऐसी जगह चले ,
जहाँ तुम ; तुम न रहो ,और मैं ; मैं न रहूँ.....
और बस हमारा प्यार रहे ;
और फिर हम ज़िन्दगी से कहे ..
आ ; अब तुझे जी ले ज़िन्दगी ...
खुदा के नाम पर तुझसे ये इल्तजा है ज़िन्दगी ....
जांना , क्या तुम इस ज़िन्दगी में मेरे साथ हो...
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