Saturday, September 25, 2010

मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ



जानां , मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ .....
और तुम्हारे संग एक जीवन जीना चाहता हूँ ..

एक अजनबी नींद में
जिए हुए स्वपन से
जब मैं जागना चाहूँ...

तो ; तुम्हारे चेहरे पर सुबह के सूरज की रौशनी
की किरणे चमक रही हो ....

एक जागते हुए ख्वाब में जब उतरना चाहूँ
तो ; तुम्हारे चहरे पर किसी सुन्दर शाम की
लालिमा धमक रही हो ...

सुनो ;
मैं ;तुम्हारे संग एक जीवन जीना चाहता हूँ...

किसी जंगल में अनजानी राहो में भटकते हुए
किसी पुराने मंदिर की सीढियों पर संग संग उतरते हुए
किसी नदी  के बहते हुए पानी में पावं डाल कर बाते करते हुए
किसी चाँद से अपनी जानी अनजानी कविता कहते-सुनते हुए
किसी पर्वत के शिखर पर खड़े होकर एक दूजे का नाम लेकर चिल्लाते हुए
किसी  अनजान शहर के जाने हुए कमरे में एक दूजे की साँसे गिनते हुए
किसी एक पल में एक दूजे के लिए जीते हुए और मरते हुए

जानां , मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ .....
और तुम्हारे संग एक जीवन जीना चाहता हूँ ..


Thursday, September 23, 2010

जब हम मिले ...!!!




मैं सोचता हूँ ,
कि
तुमसे मिलूँ,

और तुमसे जब मिलूँ तो ;
वो तुम्हारा या मेरा शहर न हो ..
कोई ऐसी अनजान सी जगह  हो ...

जहाँ हमें कोई जानता न हो ,
पहचानता न हो...

सिवाय उन मेघो के,
जिनकी उम्मीदों  से भरी हुई उड़ानों को ;
हम घास  पर लेटकर ख़ामोशी से देखेंगे...

या फिर उन चिड़ियाओ  के ,
जिनकी तेज लेकिन  मधुर चहचाहट को
हम चुपचाप सुनेंगे ...

या फिर उस नदी की शांत बहती धारा के
जिसकी नीली तलहटी में
हम अपने अक्स देखेंगे ..

या फिर वहां मिलेंगे 
जहाँ आकाश और धरती एक होती हो
शायद  उसे क्षितिज कहते है ,

या फिर मिलेंगे ...
किसी पुरानी भुतहा हवेली में ...
जहाँ सिर्फ हम हो ,
या फिर किसी पुरानी सी टूटी हुई नौका में ..
जहाँ सिर्फ हम हो ,
या किसी चांदनी रात में तारो की छाँव में
जहाँ सिर्फ हम हो ,
या फिर किसी पर्वत की शांत गुफा में
जहाँ सिर्फ हम हो ,
या किसी समंदर की लहरों के भीतर
जहाँ सिर्फ हम हो

या फिर तुम्हारे मन के भीतर
जहाँ मैं रहू ,तुम्हारे संग ...
या फिर मेरे मन के भीतर ..
जहाँ तुम रहो मेरे संग

हम कहीं भी  मिले ..
मुझे पता है की ;
तुम मेरा हाथ थामे रहोंगी ...
किसी जन्म के भूले बिसरे वादों को पूरा करने के लिए..
और मैं तुम्हारा हाथ थामे रहूँगा ..
समय को रोककर तुम्हे जानने के लिए ..

पता नहीं ,कौनसे अनुबंध है ये ..
क्या हम प्रेम की नयी परिभाषा को रच रहे है जानां !!!