तुम्हे याद है जानां ...कई बार ऐसा हुआ है की तम्हारे साथ लम्बे सफ़र में अक्सर ये गाना बजता था . मुझे ये गाना बहुत पसंद है और तुम्हारे साथ खूब गुनगुनाता भी था .. वो लम्बी सी long drive .... वो सड़क के किनारे के किसी होटल में नाश्ता करना .. और फिर कभी कभी तुम्हे छूना .. तुम्हे देखना .. फिर कितनी सारी कभी न ख़त्म होने वाली बाते .. सफ़र कब ख़त्म हो जाता था , पता ही नहीं चलता था ...याद है , एक बार हमने सड़क के किनारे रुक कर खेतो से ओले [ चने के पौधे ] तोड़े थे ....कितनी सारी यादे...सारे लम्हे अक्सर रातो को दिए बन कर दिल में जलते है जानां ....तुम क्या जानो तन्हाईयो की आहटो को ....हमारे सफ़र के वाहन बने , ऑटो, रिक्शा ,ट्रेन, कार, उड़न खटोला , नाव, boat , cruize ..और कितना सफ़र तो हमने हाथो में हाथ डालकर पैदल ही तय किया है ....और कुछ याद नहीं आ रहा है....बस आँखे धुंधला जाती है तेरे नाम के पानी से ............
Friday, December 31, 2010
Thursday, December 30, 2010
दिल तो बच्चा है जी .... !!!
तुम्हे याद है वो दिन ..हलकी हलकी बारीश हो रही थी और हम दोनों खो गए थे किसी पुराने मंदिर को जाती हुई सड़क पर .. वो एक अजनबी सा पुराना शहर था .. लेकिन कितना अपना था .. हम कई बार उस शहर की सडको पर यूँ घूम चुके है की ,लगता है की किसी पिछले जन्म में ,हम वही रहते थे.. .....!!! जानां , जब हम मंदिर को जाने वाली सड़क का पता पूछ रहे थे तो, तुम्हारे रेडियो पर ये गाना बज रहा था... आज सुबह उस गाने को सुना तो वो सड़क याद आई, वो मंदिर याद आया, वो शहर याद आया ,तुम्हारी कार में बजता हुआ वो रेडियो याद आया , और इस गीत के साथ तुम भी याद आई ...लेकिन , मैं तुम्हे भूला कब हूँ जानां .....बस कदम फिर उस सड़क पर फिर खो जाने को बेताब है ..........!!!
Monday, December 27, 2010
ओम्कारेश्वर......मेरे ज़िन्दगी का सबसे अच्छा सपना !
एक जगह है इस देश में ...जहाँ सुबह ये सुनाई देता है ....और मन को प्रसन्न कर देता है....
आज उस जगह की बहुत याद आ रही है ....आज से ११ महीने पहले उस जगह से वापस लौटा था .
Monday, December 20, 2010
Sunday, November 28, 2010
६२२ मील लम्बा रास्ता और उम्र के बीस बरस ...
तुम थी किसी और दुनिया में ,
और मैं अपनी दुनिया में ...
मेरी दुनिया से तेरी दुनिया तक पहुँचने में
मुझे बहुत लम्बा रास्ता पार करना पड़ा ,
वो रास्ता ६२२ मील लम्बा था
और मुझे उसे पार करने में २० बरस लग गए
लेकिन हमें तो मिलना ही था ;
ईश्वर ने ही ये चाहा था .
तुझे पा लिया , सब कुछ पा लिया .
तेरे संग जो जिया , वो जी लिया .
बस तुमने मुझे छोड़ना नहीं था जानां ;
तुमने मुझे छोड़ दिया ,
मेरा सब कुछ खो गया ..
अब मैं अकेला हूँ
कोई दुनिया नहीं मेरे संग
कोई अपना नहीं मेरे संग
बस अब मैं अकेला हूँ !!!
शायद इसे ही तो बेवफाई कहते है
हैं न जानां....!!!
हैं न जानां....!!!
लेकिन ;
मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर से ,
पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो ..
ज़िन्दगी के फैसले क्यों मोहब्बत का खून करते है
मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर से ,
पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो ..
ज़िन्दगी के फैसले क्यों मोहब्बत का खून करते है
Thursday, November 25, 2010
Monday, November 22, 2010
पूरे चाँद की रात
आज फिर पूरे चाँद की रात है ;
और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है...
और कुछ बैचेन से बादल भी है ..
इन्हे देख रहा हूँ और तुम्हे याद करता हूँ..
खुदा जाने ;
तुम इस वक्त क्या कर रही होंगी…..
खुदा जाने ;
तुम्हे अब मेरा नाम भी याद है या नही..
आज फिर पूरे चाँद की रात है !!!
और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है...
और कुछ बैचेन से बादल भी है ..
इन्हे देख रहा हूँ और तुम्हे याद करता हूँ..
खुदा जाने ;
तुम इस वक्त क्या कर रही होंगी…..
खुदा जाने ;
तुम्हे अब मेरा नाम भी याद है या नही..
आज फिर पूरे चाँद की रात है !!!
Monday, November 15, 2010
रुके रुके से पल....
वक़्त को रोककर
पीछे मुड़कर ,
मैंने देखा...
तो
तुम बहुत दूर थी ..
शायद सदियों के पहले के बात थी
या किसी और जन्म की बात थी
मैंने बहुत से वो ख्वाब भी देखे
जिसमे हम साथ साथ थे..
ज़िन्दगी के FROZEN MOMENTS भी थे ;
जहाँ तुम मेरे साथ थी...
मैं और तुम ;
हमेशा ही साथ रहे थे ...
कोई उन पलो को कैसे भूल जाये..
हाँ , सिर्फ एक पल में ;
मैं तुम्हारे साथ नहीं था ..
जब तुमने मेरा साथ छोड़ा था
अपने लिए ;
तुमने मेरा हाथ छोड़ा था ....
हाँ, जानां, मैं उस पल में तुम्हारे साथ नहीं था ..
वो यादे अब डसने लगी है
मेरी रूह को ..
वो वादे तेरे ,हँसते है
मेरे प्यार पर ..
तुमसे तो मैंने मोहब्बत सीखी थी जानां,
तुमने ये बेवफाई कहाँ से सीख ली ?
पता है तुम्हे ,
मैं अब भी भाप से पुते हुए आईने में ;
अपनी उंगलियों से तेरा नाम लिखता हूँ ......जानां !!!!
[ as if you are always with me to see this and hug me ]
पीछे मुड़कर ,
मैंने देखा...
तो
तुम बहुत दूर थी ..
शायद सदियों के पहले के बात थी
या किसी और जन्म की बात थी
मैंने बहुत से वो ख्वाब भी देखे
जिसमे हम साथ साथ थे..
ज़िन्दगी के FROZEN MOMENTS भी थे ;
जहाँ तुम मेरे साथ थी...
मैं और तुम ;
हमेशा ही साथ रहे थे ...
कोई उन पलो को कैसे भूल जाये..
हाँ , सिर्फ एक पल में ;
मैं तुम्हारे साथ नहीं था ..
जब तुमने मेरा साथ छोड़ा था
अपने लिए ;
तुमने मेरा हाथ छोड़ा था ....
हाँ, जानां, मैं उस पल में तुम्हारे साथ नहीं था ..
वो यादे अब डसने लगी है
मेरी रूह को ..
वो वादे तेरे ,हँसते है
मेरे प्यार पर ..
तुमसे तो मैंने मोहब्बत सीखी थी जानां,
तुमने ये बेवफाई कहाँ से सीख ली ?
पता है तुम्हे ,
मैं अब भी भाप से पुते हुए आईने में ;
अपनी उंगलियों से तेरा नाम लिखता हूँ ......जानां !!!!
[ as if you are always with me to see this and hug me ]
Sunday, November 14, 2010
जानां, मुझे तेरा इन्तजार है .....
हमेशा की तरह ,
आज भी अजनबी शाम को ढलते हुए सूरज के संग ,
उदास रंगों को आसमान में बिखरते हुए देख रहा था ;
और सोच रहा था ,
उन शामो के बारे में ,
जब तुम मेरे साथ थी ...!!
ऐसा लगता है कि
वो किसी और जनम की बात थी ,
जब मैं इन्ही रंगों को तेरे चेहरे पर
अपने प्यार के साथ घुलते हुए देखता था ....
सच में वो किसी और जन्म की बात लगती है ,..
जब हम हाथो में हाथ डाल कर ;
किसी पुराने शहर की गलियों में घुमते थे ;
जब मंदिर के सारे देवता ;
गर्भगृह में हमारी ही प्रतीक्षा करते थे .
या , वो नदी के बहते पानी में अपने अक्स को देखना ..
और वो लम्बी लम्बी सडको पर ;
बिना किसी मंजिल के दूर तक बहते चले जाना
और वो अनजान जंगलो की ,
फूलो की झुकी हुई डालियों पर तेरे प्यार को ठहरा हुआ देखना ,
किसी तेरे शहर की झील में ;आज भी अजनबी शाम को ढलते हुए सूरज के संग ,
उदास रंगों को आसमान में बिखरते हुए देख रहा था ;
और सोच रहा था ,
उन शामो के बारे में ,
जब तुम मेरे साथ थी ...!!
ऐसा लगता है कि
वो किसी और जनम की बात थी ,
जब मैं इन्ही रंगों को तेरे चेहरे पर
अपने प्यार के साथ घुलते हुए देखता था ....
सच में वो किसी और जन्म की बात लगती है ,..
जब हम हाथो में हाथ डाल कर ;
किसी पुराने शहर की गलियों में घुमते थे ;
जब मंदिर के सारे देवता ;
गर्भगृह में हमारी ही प्रतीक्षा करते थे .
या , वो नदी के बहते पानी में अपने अक्स को देखना ..
और वो लम्बी लम्बी सडको पर ;
बिना किसी मंजिल के दूर तक बहते चले जाना
और वो अनजान जंगलो की ,
फूलो की झुकी हुई डालियों पर तेरे प्यार को ठहरा हुआ देखना ,
सूरज, शाम और पानी के साथ तुम्हे disk jockey जैसे mix करना
और ज़िन्दगी के रुके हुए पलो में तुम्हे अपने camera में ;
एक immortal तस्वीर की तरह कैद कर लेना ...
सब कुछ किसी और जन्म की बात ही लगती है ..जानां ..
क्या तुम्हे वो सारे लम्हे याद है ,
जब तुम्हारी साँसे मेरे नाम थी ,
जब तुम्हारी धड़कने भी मेरे नाम थी ,
जब तुम मुझे देखती थी प्यार के अद्बुत क्षणों में ..
जानां.. आज मैं बहुत उदास हूँ.
तुम बहुत याद आ रही हो ..
जाने ,तुम दुनिया के किस जंगल में खो गयी हो ..
आ जाओ जानां, मुझे तेरा इन्तजार है .....
Saturday, November 13, 2010
एक रेशमी सपना
A cozy night of chilling winter waves …
Beside a lake front …
Wrapped by a thin fabric …
White fabric, which will be displaying ;
only our love and nothing else…
Talking nothing …
Sitting in silence...
A silence of unspoken words…..
Words of love …….!!!
As the full moon shines its milky shades on our faces,
I hold your face slowly in my both hands,
And say those three magic words...
I LOVE YOU ...
But dreams are just dreams...
Sometimes they just turn into a magical reality,
Sometime they just stay dreams like this one...!!!
Because, to realize the dreams,
We have to leave logic and mind;
Much behind shadows of our life;
So that,
We can slip into the great sleep of togetherness;
And than …In a moment of bliss,
The dream comes true…!!!
May be some other time...
Some other day...
Some other full night moon...
We will be in each other's arms,
And that will be a dream of reality!!!
And that will be our Dream as always ..
Love you Jaana !!!
Wednesday, November 10, 2010
कही कोई नहीं है जी .. !!!!
यूँ ही कभी अगर दुनिया पूछे तुमसे
की मैं कौन हूँ ..
तो तुम कह देना ..
कोई नहीं है जी ..कोई नहीं ,
बस यूँ ही था कोई
जो जाने अनजाने में
बस गया था दिल में ..
पर वो कोई नहीं है जी ...
एक दोस्त था जो अब भी है ,
जो कभी कभी फ़ोन करके
शहर के मौसम के बारे में पूछता है,
मेरे मन के आसमान पर
उसके नाम के बादल अब भी है ..
पर कोई नहीं है जी ..
कुछ झूठ है इन बातो में
और शायद ,थोडा सा सच भी है
जज्बातों से भरा हुआ वो था
उम्मीदों की जागीर थी उसके पास
पर मैंने ही उसकी राह पर से
अपनी नजरो को हटा दिया
पर कोई नहीं है जी ..
कोई है , जो दूर होकर भी पास है
और जो होकर भी कहीं नहीं है
बस कोई है.." कहाँ हो जानू " ,
क्या ...कौन ..
नहीं नहीं कोई नहीं है जी ...
मेरे संग उसने ख्वाब देखे थे चंद
कुछ रंगीन थे , कुछ सिर्फ नाम ही थे
है कोई जो बेगाना है ,पता नहीं ?
मेरा अपना नहीं ,सच में ?
कोई नहीं है वो जी ....
कोई साथी सा था ..
हमसफ़र बनना चाहता था ,
चंद कदम हम साथ भी चले ..
पर दुनिया की बातो में मैं आ गयी
बस साथ छूट गया
कोई नहीं है जी ....
कोई चेहरा सा रहता है ,
ख्यालो में ...याद का नाम दूं उसे ?
कभी कभी अक्सर अकेले में
आंसू बन कर बहता है
कोई नहीं था जी....
बस यूँ ही
मुझे सपने देखने की आदत है
एक सच्चा सपना गलती से देख लिया था
कोई नहीं है जी , कोई नहीं है ....
मुझे सपने देखने की आदत है
एक सच्चा सपना गलती से देख लिया था
कोई नहीं है जी , कोई नहीं है ....
सच में ...पता नहीं
लेकिन कभी कभी मैं गली के मोड़ तक जाकर आती हूँ
अकेले ही जाती हूँ और अकेले ही आती हूँ ..
कही कोई नहीं है जी ..
लेकिन कभी कभी मैं गली के मोड़ तक जाकर आती हूँ
अकेले ही जाती हूँ और अकेले ही आती हूँ ..
कही कोई नहीं है जी ..
कोई नहीं ...
रिश्ता
यूँ ही जमीं पर थक कर चलते चलते ;
एक खवाबो सा रिश्ता बनाया था मैंने और तुमने ..
पर पता नहीं किसका श्राप था ;
वह कभी भी पूरी तरह से जुड़ नहीं पाया ,
खुदा ने ही इंसानी दरारे बना रखी थी
लेकिन टुटा भी नहीं कभी ..
एक प्यारे से अहसास के साथ रहा ,
वो जिंदा ही ..
कभी वो मेरी बांहों में सिमटते रहा ;
कभी तेरी साँसों में महकता रहा
कई बार तुमने तोडना चाहा
लेकिन ,
ये खुदा की वो नेमत है ,
जो धड़कन बन कर जीता है
तुम्हारे और मेरे दिलो में
तुम लाख कोशिश कर लो ..
ये रिश्ता मर न पायेंगा
क्योंकि ;
इस पर तेरा और मेरा नाम लिखा हुआ है
ये तेरा और मेरा रिश्ता है !!!!
Wednesday, October 20, 2010
अचानक एक मोड़ पर
अचानक एक मोड़ पर अगर हम मिले तो ,
क्या मैं तुमसे तुम्हारा हाल पूछ सकता हूँ ;
तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
अगर मैं तुम्हारे आँखों के ठहरे हुए पानी से
मेरा नाम पूछूँ तो तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
अगर मैं तुम्हारी बोलती हुई खामोशी से
मेरी दास्ताँ पूछूँ तो तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
अगर मैं तेरा हाथ थाम कर ,तेरे लिए ; अपने ,
खुदा से दुआ करूँ तो तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
अगर मैं तुम्हारे कंधो पर सर रखकर ,
थोड़े देर रोना चाहूं ,तो तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
अगर मैं तुम्हे ये कहूँ ,की मैं तुम्हे ;
कभी भूल न पाया , तो तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
आज यूँ ही तुम्हे याद कर रहा हूँ और
उस नाराजगी को याद कर रहा हूँ ;
जिसने एक अजनबी मोड़ पर ;
हमें अलग कर दिया था !!!
Monday, October 18, 2010
Saturday, October 16, 2010
स्पर्श
प्रिय , तुम उस स्पर्श को क्या कहोंगी
मेरा प्यार या फिर तुम्हारा इकरार
वो थी हमारे प्रेम की संपूर्णता या एक कविता
जो तुम जैसी ही खूबसूरत थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
यूँ लगा जैसे फागुन अपने आप में नहीं रहा
यूँ लगा की जैसे रजनीगंधा की खुशबु फैली
यूँ लगा जैसे मेघो से आकाश ढका रहा
तन और मन के मिलन की वो मधुर बेला थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
प्रेम की परिभाषा को मैं न कहूँगा
हृदय की भाषा को व्यक्त न करूँगा
शब्दों में अपनी अनुभूति को न बांधूंगा
उन स्वर्गिक पलों की मैंने कल्पना न की थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
तुम भी उस स्पर्श को हमेशा याद रखना
तुम भी मेरी तरह यूँ प्रेम गीत गाना
मेरी याद आने पर अपनी धड़कन को थामना
क्योंकि उस खूबसूरत पल की तुम सहभागी थी
जांना ; स्पर्श के उस अहसास में तुम अंकित थी
और तुम रहो ..
एक जीवन तुझ से शुरू हुआ ,
एक जीवन तुझ पर ही ख़त्म होंगा ...
यूँ लग रहा है की ,
मैं तुम्हारी गोद में सर रख कर सो जाऊं !!
कुछ न कहूँ .. कुछ न सुनु .बस एक मौन हो ...
और तुम रहो ..!!!
तुम कहाँ हो जांना !!!
भीगा सा दिन है.
भीगी सी आँखें है.
भीगा सा मन है.
भीगी सी रात है,
तुम आ जाओ सनम ..
मैं तुम में भीगना चाहता हूँ
चल ,आ प्रिये ,
कहीं दूर उड़ चले ..
संसार को छोड़ चले ...
मन के शहर में
मन की गलियों में भटक जाएँ ..
तुम मेरा हाथ थामे रहना प्रिये !
तुम कहाँ हो जांना !!!
तुम और मैं
यूँ ही किसी ज़िन्दगी में तुम शायद मुझसे अलग हो गयी थी ..
किसी खुदा ने ;
तुझे मुझसे छीन लिया था या मुझे तुझसे छीन लिया था !!
ज़रा सोचो तो क्या हम किसी नीली नदी में डूब गए थे ?
या फिर किसी जलप्रपात में भीग गए थे ?
किसी लम्बी सड़क पर चलते चलते किसी धुंध में खो गए थे ?
कभी किसी खुले आसमान के नीचे लेटकर चाँद तारों को देखा होंगा ?
यूँ ही कभी तुमने मुझे अपने हाथों से खिलाया होंगा ?
या फिर मुझे शर्माते हुए पानी में नहलाया होंगा ..!
ज़रा सोचो तो क्या किसी जनम में तुमने मुझे यूँ ही गले लगाया था ..
या फिर अपने शीतल चुम्बनों से मुझमे आग लगा दी थी ...!!
क्या कुछ पिछले जनम का अधुरा प्यार था ;
जो इस जनम आकर मिले हम .....
वैसे ,पिछले जनम में तुम्हारा नाम जांना था क्या ?
इस प्यास का नाम जानां है ..
जानां ;
सब जानते है की ;
इस भीड़ का एक हिस्सा हो तुम ,
पर तुम अलग हो ..
कुछ तो बात है तुझमे ,
जो मैं तेरा हो गया ....
तुम्हारा मुझे मिलना
और मुझे चाहना ..
और इस तरह चाहना कि; मैं
मैं न रहूँ ..तुम बन जाऊं ...
पता है , यूँ लगता है की कोई " dialogue " अधुरा रह गया हो
जो अब हम पूरा कर रहें है ..
कोई अभिव्यक्ति .. कोई मादकता ..
कोई प्यार ...कुछ छूट सा गया था पिछले जनम कहीं
जो की अब मिल रहा है ..
सोचता हूँ ,
ओक में भर भर कर तुझे पी जाऊं , जी जाऊं !!
सब कुछ इतना सहज और इतना मीठा सा है ..
पता है तुम्हे ..
इस प्यास का नाम जानां है ..
मैं बहुत उदास सा हूँ.
क्या तुमने अपने आप से या मुझ से पुछा है
कि,मैं तुम्हे इतना क्यों देखता हूँ......
वो क्या बात है तुम्हारी आँखों में या
तुम्हारे चेहरे में जो औरो में नहीं ;
क्यों .........
सोचो तो जानोंगी .
कि मैं तुम्हारे पिछले जनम की तलाश कर रहा हूँ ..
जब तुम मुझसे जुदा हो गयी थी ...
तुम्हारा सब कुछ इतना अच्छा क्यों लगता है ,
इतना जाना पहचाना क्यों लगता है ...
क्यों वो बातें अपनी सी लगती है
क्यों वो जिस्म की नज़दीखियाँ पहचानी सी लगती है
क्यों जब मेरे हाथ तुम्हे छूते है तो
कोई धुंध में छिपा चेहरा आँखों में धुंधलाता है
क्यों तुम्हारी गर्म साँसे मुझसे तेरा नाम कहती है ....
जांना ; तुम किसी खुदा को जानती हो ,
जो हमारे बारे में हमें बता सके....
क्यों तुम किसी जनम मुझसे जुदा हो गयी थी ..
और अब इतनी देर बाद क्यों मिली ....
जांना , मैं बहुत उदास सा हूँ.
क्षितिज
तुमने कहीं वो क्षितिज देखा है ,
जहाँ , हम मिल सकें !
एक हो सके !!
मैंने तो बहुत ढूँढा ;
पर मिल नही पाया ,
कहीं मैंने तुम्हे देखा ;
अपनी ही बनाई हुई जंजीरों में कैद ,
अपनी एकाकी ज़िन्दगी को ढोते हुए ,
कहीं मैंने अपने आपको देखा ;
अकेला न होकर भी अकेला चलते हुए ,
अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए ,
अपने प्यार को तलाशते हुए ;
कहीं मैंने हम दोनों को देखा ,
क्षितिज को ढूंढते हुए
पर हमें कभी क्षितिज नही मिला !
भला ,
अपने ही बन्धनों के साथ ,
क्षितिज को कभी पाया जा सकता है ,
शायद नहीं ;
पर ,मुझे तो अब भी उस क्षितिज की तलाश है !
जहाँ मैं तुमसे मिल सकूँ ,
तुम्हारा हो सकूँ ,
तुम्हे पा सकूँ .
और , कह सकूँ ;
कि ;
आकाश कितना अनंत है
और हम अपने क्षितिज पर खड़े है
काश ,
ऐसा हो पाता;
पर क्षितिज को आज तक किस ने पाया है
किसी ने भी तो नही ,
न तुमने , न मैंने
क्षितिज कभी नही मिल पाता है
पर ;
हम ; अपने ह्रदय के प्रेम क्षितिज पर
अवश्य मिल रहें है !
यही अपना क्षितिज है !!
हाँ ; यही अपना क्षितिज है !!
तुम कहाँ हो जांना ?
ज़िन्दगी के अनजाने राहों में ;
मैं अकेला ही चल रहा था कि
किसी सपने में मैंने तुम्हे पुकारा .....
और किसी खुदा के मेहर से
तुमने मेरी आवाज सुन ली !!!
सूरज जब डूब रहा था
तब मैं तुमसे मिला ....
फिर एक अजनबी रात के सफ़र में
मैंने तेरा हाथ थाम कर तुझे अपना कहा ..
और उसी चांदनी रात के
झिलमिलाते हुए तारो की छांव में
मैंने तुम्हारा चेहरा अपने हाथो में थाम कर
तुम्हे एक अहसास दिलाया की
ज़िन्दगी की हर ढलती हुई शाम में
तुम्हारा हाथ अपने हाथ में लेकर
मैं तुम्हे प्यार करूँगा !
तेरी मांग में मेरे सपनो का सिन्दूर होंगा ..
तेरे हाथो में मेरे नाम की मेहँदी होंगी
और मैं कहूँगा की तुम मेरी हो ...
लेकिन जिस खुदा ने हमें मिलाया ,
उसी खुदा ने हमें ये श्राप भी दे दिया की
किसी किसी ढलती हुई शाम में आंसू भी होंगे...
किसी किसी रात में तन्हाई की गूँज भी होंगी
और ज़िन्दगी के सफ़र में हम
ज्यादातर अकेले ही रहेंगे !!!
भाग्य के विधान के आगे
मैं निशब्द हूँ ;
निराश हूँ ;
रुका हुआ हूँ !!!
सुनो , मैं बहुत बरसो से तेरी याद में
ठहरा हुआ हूँ ;
जन्मो का प्यासा हूँ ;
तेरी छांव में जीवन की इस शाम को गुजारना चाहता हूँ .....
तुम कहाँ हो जांना ?
क्या तुम इस ज़िन्दगी में मेरे साथ हो
जांना ; कुछ भूली बिसरी यादें हमें बुला रही है
ज़िन्दगी के करीब ले जा रही है
जिन अजनबी राहों पर हम चले थे...
वो राहें अब हमारी पैरो के निशान ढूंढ रही है ..
जिन जिंदादिल कमरों में हमने राते गुजारी ,
उन कमरों की छते हमें पुकार रही है ....
और बहुत सी यादें है ,जानी -पहचानी हुई
तुझे और मुझे कुछ कह रही है ....
क्या तुम सुन रही हो ; जांना....
तुम्हे याद है जांना वो सड़क के किनारे खडा पुराना पेड़ ,
जिसमे बहुत से लाल रंग के फूल खिले थे....
तुम कितनी खुश हुई थी उन्हें देखकर ....
और मैं तुम्हे देखता रहा था ...
तुम्हे याद है जांना वो उन्मुक्त पानी का झरना ...
जिसकी बूंदे तुम्हे प्यार से भिगोई जाती थी
और मैं तुम्हे देख देख भीग जाता था ...
जल जाता था .....
तुम्हे याद है जांना वो उजली हुई चांदनी राते ,
जिसके सायो में हमने जिस्म जलाया करते थे ..
मैं अब तक उस आग में जल रहा हूँ ; जांना .....
जांना , ज़िन्दगी मुझे पुकार रही है
और कह रही है की ,
आ जाओ मेरी बाहों में ,
इन बाहों में तेरी जांना की खुशबू है
और कह रही है कि ,
कुछ रास्ते अब भी
मेरा और तेरा इन्तजार कर रहे है ..
और ये भी गुनगुना रही है की ,
कुछ राते तेरे नाम से मेरे इश्क का अलाव जला रही है ...
सुनो जांना , क्या तुमने भी पुकार सुनी है ज़िन्दगी की ..
अगर सुनी हो तो , चलो , कहीं बह चले ...
थोडी साँसे तू मेरे नाम कर दे ..
थोड़े आंसू मैं तेरे नाम कर दूं .....
कहीं ऐसी जगह चले ,
जहाँ तुम ; तुम न रहो ,और मैं ; मैं न रहूँ.....
और बस हमारा प्यार रहे ;
और फिर हम ज़िन्दगी से कहे ..
आ ; अब तुझे जी ले ज़िन्दगी ...
खुदा के नाम पर तुझसे ये इल्तजा है ज़िन्दगी ....
जांना , क्या तुम इस ज़िन्दगी में मेरे साथ हो...
Subscribe to:
Posts (Atom)